ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को ग्रहों का राजा माना गया है तो वहीं सनातन धर्म में सूर्य को देव के रूप में पूजा जाता है। सूर्य समस्त संसार की ऊर्जा का केंद्र है। सूर्य की ऊर्जा और प्रकाश से ही समस्त संसार के प्राणियों में जीवन है। नवग्रहों में सूर्य को सबसे विशिष्ट स्थान प्राप्त है। ज्योतिष शास्त्र में सूर्य को पिता, पुत्र, प्रसिद्धि, यश, तेज, आरोग्यता, आत्मविश्वास और इच्छाशक्ति का कारक माना गया है। सूर्य की आराधना से व्यक्ति को सूर्य के समान तेज और यश की प्राप्ति होती है। सूर्य को मजबूत करने के लिए आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करना सर्वोत्तम माना जाता है। यदि इस स्तोत्र का पाठ प्रतिदिन सुबह नियमित रूप से किया जाए तो मनुष्य के जीवन में बहुत जल्दी ही सकारात्मक परिवर्तन देखने को मिलते हैं। इस पाठ को करने से जातक को की तरह के लाभ प्राप्त होते हैं और जीवन की समस्याओं से निजात मिलती है।
आदित्य हृदय स्तोत्र पाठ की विधि-
- ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नानादि करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और एक तांबे के लोटे में जल लेकर रोली या चंदन और पुष्प डालकर सूर्य को अर्पित करें।
- सूर्य को जल देते समय गायत्री मंत्र का जाप करें और वही सूर्यदेव के समक्ष आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करें।
- इस पाठ को यदि शुक्ल पक्ष के किसी रविवार को किया जाए तो उत्तम रहता है।
- यदि इस पाठ का पूर्ण फल प्राप्त करना चाहते हैं तो नित्य सूर्योदय के समय इसका पाठ करना चाहिए।
Aditya Hridaya Strotam
- Publisher : Geetapress, Gorakhpur
- Dimensions : 14 x 10.5 cm
- Country of Origin : India
- Book Code : 211
- Book : Aditya Hridaya Strotam
- Language : Sanskrit and English
- Number Of Pages : 32
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