कल्याणकामी व्यक्ति को शास्त्र से सम्बन्धित जीवनचर्या (जन्मसे लेकर मृत्युपर्यन्त) तथा दैनिकचर्या (प्रात:जागरण से लेकर रात्रि-शयनपर्यन्त) चलानी चाहिये। पूर्वजन्म के भी शुभ-अशुभ संस्कार सूक्ष्म शरीर तथा कारण-शरीर के द्वारा अगले जन्म में प्रारब्ध बनकर साथ रहते हैं।
- Grahasth Jivan me Rahne Ki Kalaa
- Publisher : Geeta press, Gorakhpur
- Dimensions : 21 x 14 x 2 cm
- Country of Origin : India
- Book Code : 1955
- Book : Jeevancharya Vigyan
- Language : Hindi and Sanskrit
- Number Of Pages : 320
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